जिले के सभी पंचायतों में सुखेत मॉडल लागू हो जाने से रसायनिक उर्वरक की निर्भरता कम होगी। किसान जैविक खेती पर निर्भर होंगे। खेती की लागत कम होगी उत्पादन में बेहतरी आएगी। खासकर इससे पशुपालन की ओर से लोगों को रुझान बढ़ेगा। ये सुझाव किसानों की ओर से डीआरडीए सभागार में शुक्रवार को चतुर्थ कृषि रोडमैप के लिए जिला स्तरीय कार्यशाला के दौरान आईं। कार्यशाला का शुभारंभ डीडीसी विशाल राज सहित तमाम पदाधिकारियों ने दीप जलाकर किया।
डीडीसी ने कहा कि आगामी पांच वर्ष के लिए कृषि, उद्यान,पशुपालन, मत्स्य सहित कृषि से जुड़े तमाम विभागों के विशेषज्ञ जमीनी स्तर पर किसानों के आर्थिक उत्थान के लिए समुचित सुझाव को स्वीकार करना है। कृषि रोडमैप निर्माण के लिए जिले के सभी प्रखंडों से पांच नये प्रगतिशील किसानों के सुझाव मौखिक एवं लिखित सुझाव को शामिल किया गया। किसानों के सुझाव को आमंत्रित कर कृषि विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों ने विचार प्रकट किया। किसानों ने बरसाती नदियों के उड़ाही करने की बात भी रखी कहा अगर इन नदियों में जमा गाद को निकाल दिया जाएगा तो किसानों की बाढ़ और सुखाड़ की समस्याएं कम हो जाएंगी।
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कृषि विज्ञान केन्द्र चानपुरा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा.म़ंगलानंद झा एवं कृषि विज्ञान केन्द्र सुखैत के डा.सुधीर कुमार दास सहित कृषि विशेषज्ञों की सलाह एवं सुझाव लिया गया। कृषि रोडमैप के एक दिवसीय कार्यक्रम में जिला सहकारिता, सांख्यिकी, पशुपालन, मत्स्य, गव्य, आत्मा उप निदेशक, मिट्टी रसायन सहित अनुमंडल एवं कृषि पदाधिकारी ने भाग लिया।
वेलडन
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