नवरात्र के आठवें दिन दुर्गा मंदिर और घरो में मां महागौरी की पूजा की गई। वहीं, महिलाओं ने भगवती को पान, फूल, नारयिल और शृंगार का सामान चढ़ा खोइछा भरा। महागौरी की पूजा को लेकर लोगों ने व्रत भी रखा। जिले में हर दुर्गा मंदिर में खोइछा भरने को लेकर भीड़ देखी गई। खाँइच्छा भरने के लिए आई आशा देवी, किरण देवी, चेवी देवी, साधना कुमारी, गुड्डी देवी, मीरा देवी, मनमन कुमारी ने बताया कि मां अपनी बेटी का आंचल धन-धान्य से भर कर, उसे लक्ष्मी और अन्नपूर्णा के रूप में ससुराल भेजती है। आंचल की गांठ में यानी खोइंछा में मुठ्ठी भर चावल, हल्दी की पांच गांठ, दूव के कुछ तिनके और रुपए दिए जाते हैं। इसमें मां का सेह, भाई-बहनों का प्यार पिता का गौरव और परिवार का सम्मान होता है। इसलिए खोईछा भरने से माता की असीम कृपा होती है। वहीं, आज नौवें दिन माता रान के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाएगी।
बेनीपट्टी महाअष्टमी पर सोमवार को सिद्धपीठ उच्चैठ भगवती मंदिर में एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने मां भगवती की पूजा-अर्चना की। महाअष्टमी पर भगवती के महागौरी स्वरूप की पूजा विधि-विधानपूर्वक वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हुई। मंदिर प्रांगण स्थित पिंडी स्वरूपा काली मंदिर में करीब 1000 से अधिक छाग की बलि दी गई। सिर्फ चानपुरा से 300 से अधिक छाग की बलि दी गई। महिलाओं के द्वारा भगवती मंदिर में खोइछा भरा गया और तत्पश्चात कुमारी और बटुक भोजन कराया गया।