मधुबनी, गेहूं एवं रबी फसलों की बुआई शुरू होती ही डीएपी के लिए हाहाकार मच गया है। कहीं भी सरकारी दर पर डीएपी की बोरिया उपलब्ध नहीं हैं। किसान खाद के लिए परेशान हैं। इसबार धान की खेती भी बेहतर नहीं हुई। ऐसे में किसान शुरुआत में ही खेतों में गेहूं और रबी की फसल की बुआई कर लेन चाहते हैं। रहिका प्रखंड के किसान नीतीश रंजन, मुकुंद पांडेय, रामजतन मंडल आदि ने बताया कि वे डीएपी खाद के लिए टकटकी लगाएं बैथे हैं। खेत तैयार हो चुका है। पर बाजार के सभी सरकारी उर्वरक की दुकानों से डीएपी गायब हैं। कई किसानों ने बताया कि वे अवैध तरीके से करीब 1800 रुपये डीएपी की बोरिया खरीदने को विवश हैं। प्रति बोरिया करीब पांच सौ रुपये से अधिक वसूले जा रहे हैं। जिले में इसबार करीब 75 हजार हेक्टेयर में गेहूं उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके अलावा अन्य रबी की फसलें भी करीब 70 हजार हेक्टेयर में बुआई करने का सरकारी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
किसान तेजी से अपने खेतों को तैयार करने में जुटे हैं। रहिका विस्कोमान भवन पर सिर्फ किसानों को यूरिया उपलब्ध कराई जा रही है। फिलहाल यूरिया की अभी जरूरत भी नहीं है।किसान महेश्वर ठाकुर, राम कृपाल यादव, सुरेन्द्र सहनी आदि ने बताया कि अगर समय से डीएपी किसानों को नहीं मिली तो इसबार गेहूं की बेहतर फसल उत्पादन कर पाना मुश्किल होगा। जिले के किसानों का कहना है कि उर्वरक बिक्री के लिए जीरो टॉलरेंस की बात महज छलावा साबित हो रहा है। हालांकि जिला कृषि पदाधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि जिले में एक से दो दिनों में 525 एमटी डीएपी की रैक लगने वाली है। इसके बाद से किसानों को डीएपी उपलब्ध होगा।
● यूरिया की जरूरत नहीं रहने पर भी कई जगहों पर उपलब्ध यूरिया
● किसानों ने कहा जीरो टॉलरेंस की नीति उर्वरक पर पूरी तरह छलावा,गेहूं एवं रबी फसलों की बुआई शुरू होती ही डीएपी के लिए हाहाकार मच गया है। कहीं भी सरकारी दर पर डीएपी की बोरिया उपलब्ध नहीं हैं। किसान खाद के लिए परेशान हैं। इसबार धान की खेती भी बेहतर नहीं हुई। ऐसे में किसान शुरुआत में ही खेतों में गेहूं और रबी की फसल की बुआई कर लेन चाहते हैं।
रहिका प्रखंड के किसान नीतीश रंजन, मुकुंद पांडेय, रामजतन मंडल आदि ने बताया कि वे डीएपी खाद के लिए टकटकी लगाएं बैथे हैं। खेत तैयार हो चुका है। पर बाजार के सभी सरकारी उर्वरक की दुकानों से डीएपी गायब हैं। कई किसानों ने बताया कि वे अवैध तरीके से करीब 1800 रुपये डीएपी की बोरिया खरीदने को विवश हैं। प्रति बोरिया करीब पांच सौ रुपये से अधिक वसूले जा रहे हैं। जिले में इसबार करीब 75 हजार हेक्टेयर में गेहूं आच्छादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके अलावा अन्य रबी की फसलें भी करीब 70 हजार हेक्टेयर में बुआई करने का सरकारी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
किसान तेजी से अपने खेतों को तैयार करने में जुटे हैं। रहिका विस्कोमान भवन पर सिर्फ किसानों को यूरिया उपलब्ध कराई जा रही है। फिलहाल यूरिया की अभी जरूरत भी नहीं है।किसान महेश्वर ठाकुर, राम कृपाल यादव, सुरेन्द्र सहनी आदि ने बताया कि अगर समय से डीएपी किसानों को नहीं मिली तो इसबार गेहूं की बेहतर फसल उत्पादन कर पाना मुश्किल होगा। जिले के किसानों का कहना है कि उर्वरक बिक्री के लिए जीरो टॉलरेंस की बात महज छलावा साबित हो रहा है। हालांकि जिला कृषि पदाधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि जिले में एक से दो दिनों में 525 एमटी डीएपी की रैक लगने वाली है। इसके बाद से किसानों को डीएपी उपलब्ध होगा।
● यूरिया की जरूरत नहीं रहने पर भी कई जगहों पर उपलब्ध यूरिया
● किसानों ने कहा जीरो टॉलरेंस की नीति उर्वरक पर पूरी तरह छलावा
9000 एमटी डीएपी की है जरूरत
जिले में रबी सीजन में करीब 9000 एमटी डीएपी की जरूरत होगी। पर अबतक सिर्फ 992 एमटी ही डीएपी जिले को उपलब्ध कराई गई है। डीएपी की खेप अक्टूबर में ही मिली जो किसानों तक नहीं पहुंची। 15 दिसंबर तक गेहूं बुआई का समय रहता है। अगर इससे पहले तक डीएपी और अन्य उर्वरक पर्याप्त मात्रा में सरकारी मूल्य पर उपलब्ध नहीं हुए तो हाहाकार मचना तय है
इन दिनों लगातार सीमा से लगे क्षेत्रों से नेपाल उर्वरक ले जाने की खबरें भी छपी हैं। अगर अविलंब जिला प्रशासन और कृषि विभाग इसपर लगाम नहीं लगाया तो उर्वरक के लिए हाहाकार मचेगा।।