झंझारपुर, प्रखंड क्षेत्र में धान की कटनी के साथ ही आलू और गेहूं की बुआई शुरू हो गई है। खेती के लिए डीएपी की मांग बढ़ गई है। किसानों को सरकारी उर्वरक दुकानों पर निर्धारित दर पर डीएपी मिल रहा है। वहीं कई जगह पॉस मशीन खराब होने व खाद किल्लत के कारण किसानों को बैरंग लौटना पड़ रहा है। ऐसे में किसानों को निजी दुकान से निर्धारित मूल्य से अधिक पर डीएपी खरीदना पड़ रहा है। यह हाल लखनौर, मधेपुर, झंझारपुर के अलावा अनुमंडल के तमाम सीमावर्ती प्रखंड क्षेत्र का है। बेरमा गांव के राम गुलाम चौरसिया, अभय झा, नवानी गांव के कौशल कुमार , कवियाही के कामेश्वर राम, विस्टोल के राजू मंडल आदि किसान बताते हैं कि लाइसेंसी उर्वरक विक्रेता निर्धारित मूल्य से दो सौ से ढाई सौ रुपये प्रति 50 किलो बोरी का डीएपी बढ़ाकर दामों में बेच रहे है। इससे किसानों को खेती में अधिक खर्च आ रहे है। जबकि, कृषि विभाग के जिला और प्रखंड स्तर के अधिकारियों को सख्त निर्देश है कि, किसानों को उचित दर पर खाद उपलब्ध कराना है। लेकिन किसानों को डीएपी सामान्य 1350 के बदले 1650 से 1750 तक मिल रहा है। इसके साथ जिंक लेने के लिए बाध्य किया जाता है। वहीं डीएपी मिक्चर प्रति बोरी 1550 के बदले 1750 तक बेचा जा रहा है। इससे किसानों को खेती में लागत खर्च भी बढ़ जा रहे है। लौफा, अररिया संग्राम, झंझारपुर, मधेपुर, अंधराठाढी बेरमा आदि इलाके के किसानों को डीएपी नहीं मिल रहा है। इसके लिए संबंधित इलाके के किसान दर दर भटक रहे है। साथ ही किसानों को खुले बाजार में अधिक दाम में खरीदना पड़ रहा है। किसान रामजीवन साह, रामकिशोर सिंह, अभय कुमार, विकास कुमार, सुरत महतो ने बताया कि गेंहू में डीएपी की आवश्यकता रहती है। विगत डेढ़ सप्ताह से खाद की दुकान की दौड़ लगा रहे है। परंतु मशीन खराब और अन्य कारण बताकर आज कल कह कर लौटा दिया जाता है। वहीं कई किसानों ने बताया सरकारी दर में खाद नहीं मिल रहा है।




