जिले में श्रद्धा के साथ मनायी गयी अक्षय नवमी, मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लोगों ने विधि-विधान के साथ की पूजा, आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर किया भोजन
मधुबनी, जिले में श्रद्धा के साथ बुधवार को अक्षय नवमी मनायी गयी। सुबह से लोग आंवला के पेड़ के समीप साफ-सफाई कर पूजा-पाठ किया। रांटी निवासी वैदिक पंडित धीरेन्द्र कुमार झा उर्फ नन्हे ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी या अक्षय नवमी के रूप में मनाया जाता है। उन्होेंन बताया कि इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने का विधान है। पूजन के पश्चात वृक्ष के नीचे बैठकर ही भोजन किया जाता है। उन्होंने बताया कि आंवले के पेड़ की पूजा करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही इसकी पूजा करने वाले व्यक्ति के जीवन से धन, विवाह, संतान, दांपत्य जीवन से संबंधित समस्या खत्म हो जाती है।
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अक्षय नवमी का दिन लोग विधि विधान से पूजा पाठ करते हैं। कई लोग अक्ष्य नवमी के दिन आंवला पेड़ के नीचे भोज भी करते हैं। जिसका फल कई गुणा अधिक मिलता है।
आंवला पेड़ के नीचे की गई भगवान विष्णु की पूजा
घोघरडीहा। मिथिलांचल में हर पर्व त्योहार का अलग अलग महत्व है। यहां के लोग आस्था के साथ पर्व को मनाते हैं। छठ महापर्व के बाद कार्तिक नवमी का काफी महत्व है। इस पर्व को लेकर बुधवार को सुबह से शाम तक आंवले पेड़ के नीचे भगवान विष्णु की पूजा की गई। देर शाम से वृक्ष के नीचे खाना पकाया गया।कार्तिक मास की नवमी तिथि को अक्षय नवमी, कुष्मांडा नवमी धात्री नवमी के नाम से जाना जाता है।
बाबूबरही में अक्षय नवमी पर हुई पूजा—अर्चना
बाबूबरही। अक्षय नवमी को लेकर बुधवार को प्रखंड क्षेत्र में जगह— जगह महिला बाला श्रद्धालुओं ने आंवला पेड़ की पूजा अर्चना की। कार्तिक मास के दौरान इस पूजा की अपनी खासियत है। पूजा को लेकर श्रद्धालुओं में खास उत्साह देखा गया। आंवला पूजा अर्चना के साथ ही सुखमय जीवन रहने की मंगल कामना और याचना की। पंडित और पुजारियों ने मंत्रोच्चार के बीच पूजा अर्चना की।
इस पूजन से जीवन में समस्याओं का अंत होता है।