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अयोध्या: रामलला 21 दिसंबर के बाद किसी शुभ मुहूर्त में होंगे विराजमान

 
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने कहा है कि इस वर्ष अक्तूबर तक गर्भगृह का निर्माण पूरा हो जाएगा। निर्माण पूरा होने के बाद 21 दिसंबर के बाद कोई शुभ मुहूर्त निकलवाकर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कर दी जाएगी। यह तारीख कोई भी हो सकती है।

दिसंबर में भी हो सकता है, पहली जनवरी को भी और मकर संक्रांति पर भी यह शुभ कार्य हो सकता है। रामलला के विराजमान होने के बाद भक्तों के लिए गर्भगृह खोल दिया जाएगा। बाकी के दोनों तल पर निर्माण जारी रहेगा। शुक्रवार को मंदिर निर्माण की प्रगति साझा करते हुए उन्होंने कहा कि हम निर्माण की प्रगति से संतुष्ट हैं।

रामलला की मूर्ति पत्थर की होगी, वह किस पत्थर की होगी इस पर विचार विमर्श के लिए कमेटी बना दी गई है। गर्भगृह में भगवान राम की मूर्ति बालरूप में ही होगी। इसकी ऊंचाई पर अभी चर्चा जारी है, अब तक गर्भगृह की फर्श से रामलला की ललाट तक की ऊंचाई 7.8 फिट होनी तय है। दरअसल रामनवमी के दिन रामलला के ‘सूर्य तिलक’ की योजना पर काम हो रहा है। सीबीआरआई रुड़की में इसका पहला सफल ट्रायल हो चुका है।

रामलला के ‘सूर्य तिलक’ पर ट्रायल सफलबारह मीटर ऊंची रिटेनिंग वाल में 6.2 मीटर निर्माण पूरा

राम मंदिर निर्माण की प्रगति का अवलोकन कराने के लिए श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ की ओर से शुक्रवार को मीडियाकर्मियों को आमंत्रित कर स्थल निरीक्षण कराया गया। इस दौरान जानकारी दी गई कि सतह से 12 मीटर ऊंचे रिटेनिंग वाल का निर्माण दोबारा शुरू कर दिया गया है। करीब डेढ़ मीटर चौड़े इस रिटेनिंग वाल का 6.2 मीटर ऊंचाई तक निर्माण बरसात से पहले ही पूरा कर लिया गया था लेकिन पिछले दिनों बरसात के बारिश के कारण गड्ढे में पानी भर गया।

लोहे व ईंट के बिना तैयार हो रहा भव्य राममंदिर

अयोध्या में 18 सौ करोड़ की लागत से श्रीरामजन्मभूमि पर बन रहे भव्य मंदिर के सुपर एरिया में ईंट व लोहे का प्रयोग नहीं हो रहा है। लोहे व ईंट की बजाय पत्थरों की विशेष डिजाइनिंग से लंबे समय तक अक्षुण्य रहने वाले इस मंदिर को मूर्त रूप दिया जा रहा है। सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की के वैज्ञानिकों की सलाह पर ऐसा किया जा रहा है। भारतीय पुरातन स्थापत्य कला की नागर शैली में बन रहे इस मंदिर के लिए जिन खंभों का इस्तेमाल किया जाएगा उसमें विशेष तरह के खांचे बनाए गए हैं। इन्हीं खांचों में ऊपर से रखे जाने वाले दूसरे खंभों में इस तरह से आकृति बनाई गई है कि वह आकर उसी पर रखी जा सके। या यूं कहें कि एक तरह की चाभियों से वह लॉक होंगी।

श्रीरामजन्मभूमि पर निर्माणाधीन भव्य मंदिर का गर्भगृह अब मूर्तरूप लेने लगा है। दिन रात काम होने की वजह से मार्च के अंत तक गर्भगृह पर छत पड़ जाएगी। दस दस फिट ऊंचे पत्थर के स्तंभ रखे जा चुके हैं। गर्भगृह के चारों ओर की दीवार खड़ी हो चुकी है। गर्भगृह के मुख्य भवन में कुल 166 स्तंभ लगाए गए हैं। इसकी ऊंचाई बीस फिट की होगी।


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