पीड़ित शिक्षक हरे कृष्ण महतो ने बताया कि लगभग पांच लाख रुपये के गहने व 25 हजार नकद लेकर डकैत फरार हो गए। सभी ने अपना चेहरा ढक रखा था। घटना के बाद डकैतों ने परिवारवालों को घर में बंद कर आगे से बंद कर दिया। सुबह साढ़े तीन बजे जब दंपती ने हल्ला करना शुरू किया तो पड़ोसियों ने बंद कमरे से पीड़ित परिवार को बाहर निकाला। पड़ोसी के मोबाइल से पुलिस को सूचना दी गई।
सूचना मिलते ही डीएसपी आशीष आनंद, आरएस ओपी थानाध्यक्ष पुरुषोत्तम कुमार व झंझारपुर थानाध्यक्ष राशिद परवेज मौके पर पहुंचे और घटना की जानकारी ली।
पुलिस को दिए आवेदन में शिक्षक हरे कृष्ण महतो ने बताया कि डकैतों ने मुख्य दरवाजे के बगल में बने गैरेज गेट का ताला तोड़कर अन्दर प्रवेश किया। फिर भीतर से मकान का मुख्य दरवाजा खोला। दो अलग-अलग कमरे में पति-पत्नी सो रहे थे। डकैतों नेे शिक्षक के सिर पर पिस्टल तानकर जगाया व उनका हाथ बांध दिया। पत्नी को भी कब्जे में ले दोनों के हाथ और आंख पर पट्टी बांध दी।
आर एस ओपी क्षेत्र के जेल के पीछे मोहल्ले में हुई डकै ती की घटना में टारगेट कोई और था लेकिन गलती से डकैत शिक्षक के घर पहुंच गए। यह बातें डकैती के दौरान डकैतों ने शिक्षक दंपती से पूछताछ में कही।
शिक्षक ने बताया कि डकैत टीम का लीडर उन्हें उठाते ही पूछा कि पवन यादव कहां है। क्या वह किराएदार है। तुम जेल के स्टाफ हो क्या? शिक्षक हरे कृष्ण महतो अवाक रह गए। डकैतों को उन्होंने बताया कि मैं शिक्षक हूं, मेरी पत्नी भी शिक्षिका है। पवन यादव नाम का कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है, जिसे मैं जानता हूं।
तब डकैत दूसरे रूम में सो रही पत्नी को जगाया। हाथ और आंख बांधकर पति के पास बैठा दिया। आंख तो बंद थी मगर शिक्षक डकैतों की आपसी बात को सुना। वह एक- दूसरे से कह रहे थे कि जेल से सूचना मिली थी कि बड़ा आदमी है, चेहरा जो बताया गया था वह भी नहीं मिलता है।
जेल से कनेक्शन होने की बात डकैती में शामिल लोगों के जेल कनेक्शन की भी बात सामने आ रही है। शिक्षक को पहले डकैतो ने जेल का कर्मी समझा, फिर उसने बताया कि जेल से जिसकी सूचना मिली वह वे नहीं हैं। जेल में डकैतों द्वारा इसी प्रकार के मोबाइल अपराध में लिप्त आठ बंदियों को इस उपकारा से बड़ी जेल में ट्रांसफर किया था। जेल अधीक्षक देवाशीष सिन्हा ने बताया कि जेल में बराबर तलाशी अभियान चलता रहता है।