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झंझारपुर डेढ़ महीने से ठप है अनुमंडलीय अस्पताल का ऑक्सीजन प्लांट


झंझारपुर, अनुमंडलीय अस्पताल में पिछले डेढ़ महीना से ऑक्सीजन प्लांट लगभग ठप है। यह प्लांट बेड तक मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए इसी वर्ष मई में स्थापित कर चालू किया गया था। लेकिन शुरुआत से ही इस प्लांट में लीकेज की समस्या रहने के कारण भरा गया ऑक्सीजन निकल जाता है। इससेे अब यह प्लांट केवल शोभा की वस्तु बन कर रह गया है। जरुरत पड़ने पर बेड पर सिलेण्डर से मरीजों का ऑक्सीजन दिया जाता है।

20 दिन पूर्व एक वृद्ध मरीज को ऑक्सीजन की काफी देर तक जरूरत पड़ी। प्लांट में ऑक्सीजन था ही नहीं। कुछ देर तक उसे सिलेण्डर व कन्सटेटर से ऑक्सीजन दिया गया फिर उस मरीज को मधुबनी सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। चार दिन पहले भी एक वृद्ध को सांस लेने में कठिनाई होने पर प्लांट का सुविधा नहीं मिला। उसे सिलेण्डर से ऑक्सीजन मुहैया किया गया। बताया गया कि प्लांट में लीकेज के कारण ऑक्सीजन नहीं है। न ही उसे चलाने के लिए विभागीय जानकार कर्मी है। इस ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना कोरोना संक्रमण के खतरा को लेकर किया गया था। इसकी क्षमता चार सौ पीएसए का है। जब चालू किया तो कहा गया था कि हर वार्ड में पाइप लाइन से बेड तक ऑक्सीजन उपलब्ध रहेगा। अनुमंडलीय अस्पताल में इमरजेंसी सेवा से लेकर प्रसव, बच्चा वार्ड के अलावा ओपीडी भवन के वार्डों में बेड तक ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए पाइप लाइन बिछायी गई। मगर यह सारा इन्तजाम महत एक लीकेज की गड़बड़ी के चलते बेकार साबित हो रहा है।

अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक डा मुकेश कुमार कहते हैं कि लीकेज को ठीक करने के लिए कम्पनी को कई बार पत्र भेजा गया। दो महीना पूर्व कम्पनी से टेक्नीसियन आया ठीक हो जाने की बात की चला गया। लेकिन बाद में पता चला कि लीकेज वैसे का वैसे ही है। वे अपने स्तर से लगातार कम्पनी के अधिकारी से बात कर ठीक करने को कह रहे हैं। उन्होने कहा है कि ऑक्सीजन प्लांट को चालू करने के लिए सक्षम कर्मी की बहाली राज्य स्तर से होती है। जो नहीं हुई है।

  • ऑपरेटर की कमी से सिर्फ एक शिफ्ट में चलता है ऑक्सीजन प्लांट
  • मधुबनी। कोविड काल में सदर अस्पताल कैंपस में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित की गई थी। जो मरीज के लिए काफी हद तक मददगार साबित हुई। जरूरतमंदों को ऑक्सीजन की आपूर्ति हुई। ऑक्सीजन प्लांट द्वारा मेडिकल गैस पाइपलाइन सर्विसेज अस्पताल के कुल 75 मरीजों तक पहुंचती है। एक मिनट में एक लीटर ऑक्सीजन एडमिटेड पेशेंट को मिलती रहती है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा ऑक्सीजन प्लांट में तीन शिफ्ट ऑक्सीजन गैस प्लांट ऑपरेट करने की बजाय एक ही कर्मी के द्वारा एक ही शिफ्ट प्लांट ऑपरेट किया जाता है।
  • प्लांट में स्टोर किया हुआ ऑक्सीजन एक सीमा तक ही चल सकता है । इस तरह की स्थिति में ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हुई या कोई टेक्निकल खराबी हुई तो मरीजों का हाल बहुत खराब हो सकता है।

  • सिविल सर्जन डा. सुनील कुमार झा ने कहा कि उपयुक्त मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति हो पा रही है । यदि बीच-बीच में प्लांट को अगर बंद भी कर दिया जाए तो ऑक्सीजन की आपूर्ति में कोई दिक्कत नहीं आती है। मरीज के बेड तक पहुंचने वाला ऑक्सीजन गैस पाइपलाइन से हो रही आपूर्ति पर्याप्त है।

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