![]() |
मद्नेश्वर स्थान |
कालांतर में कभी वेद ध्वनि से गुंजित रहने वाले मद्नेश्वर स्थान को एक उद्धार कर्ता की जरूरत है। इस स्थान की प्राचीनता पैराणिकता और महत्व को रेखांकित करने की जरूरत है। मद्नेश्वर स्थान में पाल बंशीय राजा मदन पाल द्वारा स्थापित प्रसिद्ध शिव लिंग है। इस इलाके का सबसे प्राचीन महादेव स्थान है। स्थान की प्राचीनता एवम यहां के मनोरम दृश्य देखते ही बनता है। मुराद पाने वाले श्रद्धालु भक्तो द्वारा यहां सालो भर अष्टयाम का आयोजन रहता है। सावन के महीनो में लाखो श्रद्धालु यहां जला विषेक करते है। रविवार और सोमवार को मेला लगता है। महाशिवरात्रि के मौके पर लगने वाले मेला में कई जिला के श्रद्धालु के अलावे परोशी देश नेपाल के व्यापारी सहित श्रद्धालु भक्त आते है। मंदिर के आगे विशाल सरोवर है। इसकी पौराणिक मान्यता है की यह सरोवर कभी नहीं सुखा है। हमेशा पानी भरा रहता है।
![]() |
मंत्री जी को ज्ञापन सौंपते हुए |
विशाल परिसर है। इसके अलावा प्राथमिक विद्यालय,रा कृत मध्य विद्यालय एवम +2 उच्च विद्यालय है। पूर्व में यहां आयुर्वेद के सरकारी औषधालय हुआ करते थे।आयुर्वेद का उपचार होता था।सरकारी वैद्य नियमित बैठते थे। औषधालय मिट गए ।
मद्नेश्वर महोत्सव के मौके दीपोत्सव, सरोवर आरती ,संस्कृत शिक्षा और रोजगार उन्मुखी कार्यक्रम, कवि सम्मेलन एवम देवी भागवत कथा कार्यक्रम के अलाव राज्या भिषेक कार्यक्रम प्रस्तावित है।
मद्नेश्वर स्थान तीन प्रखंड क्रमश बाबूबरही अंधराठाढी फुलपरास तीन विधान सभा के सीमा पर अवस्थित है। आयोजक समिति में मुखिया रमेश कर्ण,मुखिया वसीम अहमद , मुखिया नूतन कुमारी,मुखिया भोगेंद्र यादव, मुखिया भागेश्वर यादव आदि है।